पहाड़ों का भूविज्ञान, पृथ्वी की सतह पर पहाड़ों के निर्माण और विकास का अध्ययन है। यह एक जटिल विज्ञान है जो विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को शामिल करता है, जैसे कि प्लेट टेक्टोनिक्स, ज्वालामुखी गतिविधि, और अपरदन।
पहाड़ों का निर्माण आमतौर पर तब होता है जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं। इस टकराव के परिणामस्वरूप, पृथ्वी की सतह पर दबाव बढ़ता है, जिससे पहाड़ उठते हैं।
ज्वालामुखी गतिविधि भी पहाड़ों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला लावा और राख, समय के साथ जमा होकर पहाड़ बना सकते हैं।
अपरदन, पहाड़ों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हवा, पानी और बर्फ, पहाड़ों की चट्टानों को तोड़ते हैं और उन्हें दूर ले जाते हैं, जिससे पहाड़ों की ऊंचाई और आकार बदल जाते हैं।
पहाड़ों का भूविज्ञान, हमें पृथ्वी के इतिहास और विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह हमें प्राकृतिक आपदाओं को समझने और उनसे निपटने में भी मदद करता है।
भारत में हिमालय पर्वतमाला, भूवैज्ञानिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतमाला है और इसका निर्माण टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से हुआ है।